आज तुम्हारी
मर्मस्पर्शी भावना ने
मुझे कितना
अंदर तक छुआ है
भावना
जीवन की सच्चाई है
मुझे
तुमने जीवन दिया है
मेरे पास
देने को कुछ भी नहीं
यह कविता है
शब्द
और अर्थ से रहित
कविता
जो केवल
आत्मा में बहती है
आत्मा…….
मेरे अंदर
निरंतर बहता
एक झरना
एक सत्य
जो कभी
टूटता नहीं
बिखरता नहीं
झरने का
चट्टानों को
काटकर
निरंतर
बहते रहने की
वेदना का सुख
उसकी लयबद्ध
संगीतमयी आत्मा है
एक अटूट सत्य है
प्रकृति है
जीवन है
जीवन…जो……
हम दोनों का
सत्य है
सत्य स्रोत
अंतिम
सत्य है
——————–(प्रस्तुत कविता मेरे काव्य संग्रह-“जमीन से जुड़े आदमी का दर्द से उद्धृत की गयी है )-
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